दोषी-कसूरबार का कारण ऐजा असो, के ज्योति-प्रकाष संईसारी दे आऐ; परह् आदमी ऐं तियों ज्योति-प्रकाष प्यारी ने माँनी; अरह् तिन्ऐं ईनाँरो प्यारो माँनों, किन्देंखे के तिनके काँम-काज़ बुरे थिऐ।
तबे ईन्दें पाछ़ी तेने स्वर्गदूत्तें मुँह कैई शी जीवन के जल की नंदी देखाऐ, जुण्जी बिल्लौर के जेष्णी छ़लक्दी, साफ सीसै हार्षी की जेऐ थी, जुण्जी पंण्मिश्वर अरह् छ़ैल़्टे के सिगाँस्ण शी बंह्दें नींक्ल़ों थी।
“हाँव, यीशू, मुँऐ कलीसियाओं के बारे दी ऐजी बातो पर्गट कर्णो खे आप्णाँ दूत्त तुओं कैई डेयाल़ी थुवा; हाँव राजा दाऊद के बंष-गंड़ी का सोभी शी खास अलाद असो, अरह् झ़ीषौ बियाँणीं दा चंमम्कणों वाल़ा तारा असो।”