किऐ गाँदी बात तुँवाँरे मुँहों शी ने निकल़ो, परह् जरूरत के मुँताबिक सेजी ही बात तुवाँरे मुँहों शी ओकी की भलाई के ताँईऐं तिनकी आत्त्मिक बड़ोत्री खे नीकल़ो, जू तिन्दे शुँण्णों वाल़े गाशी कृपा हों।
पबित्र-आत्त्मा अरह् दुल्ह्नं ईनू दुई की ऐजी ही बिनन्त्ति असो; “आओ!” जेने शुँणीं लुओं, से भे बुलो; “आओ!” सेजा जुण्जा च़ींषा असो से भे पीयों, अरह् जुन्जा कुँऐ हिछ़ुक असो, से भे ऐई मु़ँझ़ी दाँण भेट्णों के रूप दो जीवन को जल मुँझ़्शो पीयों।