5 तिनकी सतुति अरह् बड़ियाऐं ज़ूगौ-ज़ूगौ तोडी हंदी रंह्। आमीन।
5 हांव प्रार्थना कौरु कै लोग सौदा-सौदा तौड़ी पौरमेशवर कै महिमा कौरौ।
अरह् जुण्जी मुँऐं अज्ञाँ देऐ थई, सेजी बादी बातो तिन कैई शी माँनणीं शिखाव: अरह् दे:खो, हाँव संईसारी की अंन्त्त तोड़ी सदा तुँवारी गईलो असो।”
आँमों पाप कर्णो की परख दे ने पाऐ, परह् बुराई पाप शे बंचाऐ; (किन्देखे के राज्य अरह् प्राकर्म अरह् बड़ियाऐं सदा-सदा तेरी ही असो।’ आमीन।)
“अस्माँनों दे पंण्मिश्वर के बड़ियाऐं, अरह् धर्ती गाशी तिनू आदमी गाशी जिन शे से खुशी असो, तिनू शाँण्त्ति भेंटली।”
किन्देंखे के तिनकी ही ढबे शे, अरह् तीनी ही के जाँणें, अरह् तीनी हीं खे ही सब-कुछ असो। तिनकी बड़ियाऐ ज़ूगौ-ज़ूगौ दी हंदी रंह्: आमीन!
तेसी ही सिर्फ ऐक बुद्धीमाँन पंणमिश्वर की यीशू मसीया के जाँणें; ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी बड़ियाऐं हंदी रंह्। आमीन।
ईन्देंखे जे भोजन के जाँणें मेरे भाऐ के बंऐणीं के ढैस-ठोकर लागो, तअ हाँव कद्दी भे कोसी कारण शा माँस ने खाँदी, कद्दी ऐशो ने हईयों के मेरे भाऐ की बंऐणी दी ढैस-ठोकर ने लागो, अरह् हाँव तिनके पाप का भागी ने बंणू।
आँमें, जू आगे ही मसीया गाशी भूर्षा करी थुवा थिया; तिनकी बड़ियाऐ स्तुति के जाँणें हों।
अमाँरे परंम-पिता पंण्मिश्वर की बड़ियाऐ ज़ूगौ-ज़ूगौ दी हंदी रंह्। आमीन।
ऐबे सदा का राजा मतल्व अ-बिनाषी, अनाँथों: खे, सिर्फ ऐक पंण्मिश्वर का आदर अरह् बड़ियाऐ ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी हंदी रंह्। आमीन।
अरह् प्रभू मुँह ऐक नाँम बुरे काँम शा छुड़ाऐ देले; अरह् मुँह आप्णें स्वर्गो के राज्य दा सुवाँ करियों पंईचाल़ी देले; तिनकी ही बड़ियाऐ ज़ूगौ-ज़ूगौ दी हंदी रंह्। आमीन।
तुँऐं हर ऐक आच्छ़ी अरह् भली बातो खे साच्चै बणों, तिन्दे लई तुँऐं पंण्मिश्वर की हिछ़या पुरी करह्, अरह् जू कुछ तिनू आछो लागो, सेजो प्रभू यीशू मसीया के कारण आँमों दो पर्गट करह्, तिनकी ही बड़ियाऐ सदा ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी हंदी रंह्। आमीन।
तिनको सदा को राज ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी रंह्। आमीन।
परह् अमाँरें प्रभू अरह् बंचाँणों वाल़े, प्रभू यीशू मसीया की कृपा अरह् पछ़याँण दे बढ़्दे ज़ाव। तिन्ही की बड़ियाऐ ऐबे भे हों; अरह् सदा ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी हंदी रंह्। आमीन।
तैसी सिर्फ ऐक ही पंण्मिश्वर अमाँरे मुँक्त्ति देणों वाल़े, के बड़ियाऐं, अरह् महाँन्ता, पराक्रम, अरह् हंक-अधिकार, अमाँरे प्रभू यीशू मसीया के जाँणें हंमेशा शे असो, से ऐबे भे असो, अरह् ज़ूगौ-ज़ूगौ तड़ी रंह्। आमीन।
तेने स्वर्गदूत्ते धाव देऐयों बुलो, “पंण्मिश्वर शे डरोह्, अरह् तिनकी बड़ियाऐ आरार्धना करह् किन्देंखे के तिनके नियाँव कर्णो का बख्त आऐ पईचा, अरह् तिनका भजन करह्, जिन्ऐं स्वर्ग अरह् धर्ती अरह् समुँन्द्र अरह् जल-पाँणी के फट्वाणी बंणाऐं थुऐ।”
सेजे स्वर्गदूत्त जुराल़ों ऐजो गीत्त गाँदें रूऐ: “सेजा छ़ैल़्टा, जेसी कुरबाँण करा गुवा, पराकर्म, बोलबाला, ज्ञान, शक्त्ति, आदर, बड़ियाऐ, स्त्तुति का हंक-अधिकार असो।”
“आमीन! अमाँरें पंण्मिश्वर के स्तुति अरह् बड़ियाऐं अरह् ज्ञाँन अरह् धन्यबाद अरह् आदर अरह् पराकर्म अरह् शक्त्ति ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी बंणी रंह्। आमीन!”