3 के तेरा भला हों, अरह् तू धर्ती गाशी बैजाऐ देसो तोड़ी जीऊँदी रंऐं।”
“आप्णी माँ-बाबा का आदर-ईज्जत्त करह्। किन्देंखे के (ऐजी ऐक आगली ऐशी अज्ञाँ असो, जिन्दे आरी; ऐक बाय्दा भे जुड़ा अंदा असो)
हे नहाँन्ड़िया वाल़े, माँ-बाबा! आप्णें नहाँन्ड़िया ने घीपोऐं; परह् प्रभू की शिक्क्षा अरह् चिताँव्णी देंदे तिनका पाल्ण-पोष्ण करह्।