बालक पय्दा भे हई ने रंई थी, अरह् तिन्के किऐं भे भले-बुरे कर्णो शो आगे, रिबेका खे ऐजो बुलो गुओं; के “जैठा बैटा, काँण्छ़ै बैटे के बष दा रंह्दा।” ऐष्णों ईन्देंखे हुओं, के पंणमिश्वर का फय्सला बंणा अंदा रंह्, अरह् पंणमिश्वर का फय्सला आदमी के काम कर्मों दा ने, परह् तिन्के चूणें-छ़ाटे अंदें के हिसाब शा तिन्ही गाशी दारमदार असो।