जेथै तोड़ी मरे अंदे के दुज़ाल़िऐं जीऊँणों का सुवाल असो, कियों तुऐं ऋषी-मूसा की कताबे दो पढ़ी ने थंई, जींदा जल़्दी झाड़ी का जिंगर असो? किन्देंखे के पंणमिश्वर ऐ ऋषी-मूसा खे बुलो थियों, के हाँव कथा दो पढ़ी ने थऐ, के पंणमिश्वर ऐ तेस्खे का बुलो, के ‘हाँव अब्राहम, का पंणमिश्वर इसहाक, का पंणमिश्वर अरह् याकूब का पंणमिश्वर असो?’
ईन्दें गाशी से लेल्याँऐं दे लागे, के ऐसी ईथै शा “आगू नींयों! आगू नींयों! ऐसी शुँल़ी-फ़ाँशी चढ़ाव!” हाकम-पिलातुस ऐ तिनखे बुलो, “कियों हाँव तुवाँरा राजा शुँल़ी-फ़ाँशी चड़ाऊँ?” मुँख्या-याजकों ऐं जबाब दिता, “रोमन महाँ राजा कैसर के सुवाऐं ओका कुँऐं भे अमाँरा राजा ने आथी।”
तबे पंण्मिश्वर ऐ तिनू ही प्रभू अरह् मुँक्त्ति-दाता का पंद्-भार देऐयों, आप्णें सुँऐं ढबै बंईठाल़ी दित्ते; के से इस्राएलियों खे मंन बद्ल़्णों के शक्त्ति अरह् पापों की माँफी दियों।
से पंण्मिश्वर के दास ऋषी-मूसा को गीत्त, अरह् तेसी छ़ैल़्टे को गीत्त गाऐ गाऐयों बुलो थिऐ: “हे सर्ब-शक्त्तिमाँन प्रभू पंण्मिश्वर, तेरे काँम-काज़ बड़ी नंखै असो; हे ज़ूगौ-ज़ूगौ के राजा, तेरी चाल ठीक अरह् साच्ची असो।”