37 पाँणीं के जहाजो दे आँमें कुल मिलाऐयों दो षौ छ़ियात्तर लोग थिऐ।
37 आमै सौबै जोणे जहाजो पांदी दो सौ छिहतर आदमी थिए।
तबे: तिन्ऐं संत्त-पतरस की तिनू बातो माँनी, अरह् नहाँण-नहाँव; अरह् तेसी ही देसे किऐ च़ींन हजार आदमी बिश्वाषी भाऐ-बंईणों आरी मीली गुऐ।
जिन्ऐं तेसी बिते बख्ते अज्ञाँ ने माँनी, जबे पंणमिश्वर नूह के बख्ते सबैर थईयों ठहरी गुआ, अरह् सेजो जहाज बंणदो लागो थियों, जिन्दे बऐठियों थुड़े लोग मतल्व आठ प्राणी पाँणी मुँझ्शे बंचाऐ गुऐ।
ऐक नाँम आदमी हाक्म अधिकारी के बष दे रूऐ, किन्देंखे के कुऐं भे हंक-अधिकार ऐशा ने आथी, जू पंणमिश्वर की ढबे शा ने हों; अरह् जुण्जे हंक-अधिकारी असो, तिनू पंणमिश्वर ही बंणाऐं थुऐ।
तबे यूसुफ़ ऐ आप्णाँ बाबा याकूब, अरह् आप्णें बादे कुड़बै के लोग बईदे; जुण्जे के बादे मिलाऐयों पहचह्त्तर आदमी थिऐ।
जबे सोभी लोग खाऐ-पीयों छ:की गुऐ, तअ तिन्ऐं गींऊँ संमुन्द्रो दे फ़ेरकाऐयों जहाज हल़्को करी दितो।