36 ईन्दें लई सोभी के दीड़-हिमम्त्त आऐ, अरह् तबे तिनू सोभिऐं भे भोजन करा।
36 इथलैई तिनु हिम्मत भैटी औरौ खाणौ खांदै लागै।
परह् ऐबे हाव तुँओं शी ऐजी अरज करू के तुँऐ सबैर मारो, किन्देंखे के आँमों जहाजो का नुक्साँन तअ संहणाँ पड़दा; परह् तुवाँरे कोसी के भे जीयाँन-प्राँण का किऐ भे नुक्साँन ने हंदी, दीड़-हिमम्त्त थुऐ।
ईन्देंखे, हे साथियों! दीड़-हिम्मत बाँनों; मुँह पंण्मिश्वर गाशी बिश्वाष असो, के जेष्णों मुँह कैई बुली थो, तेष्णों ही हंदो।