26 ऐबें आँमें कोसी टापू गाशी, जरूर पंह्ईचीं ज़ाँदे।”
26 पौरौ आमु कोसी टापू पांदी जायौ टिकणु पौड़दौ।”
तबे कपताँन अरह् मल्लाहों ऐ सेजो पाँणीं को जहाँज त्तल़ौ शो ऊबो ऊँप्हर तोड़ी रंषें लंई बाँनी दितो; ईन्देंखे के जहाज कोद्दी टापू के बाल़ू मुँझी अड़की ने ज़ाँव, ईन्देंखे तिन्ऐ लंगर दाँणिंक ऊदोड़ो कोरो, अरह् जहाज पाँणीं गाशी बागुरी ऐ बंहणों दितो।
च़ौऊँदो देसो रात्ती बुरा-बर आँमें अन्द्रिया सागर दे भट्क्दे लागी रूऐ थिऐ, अरह् सेजी आँमों खे भट्कोंदे च़ौऊँदुई रात्त थी; तअ तबे भे आँमें बिचों संमुदों दे थिऐ; अरह् किऐ आधी रात्त हंणों का मंह्ल्लाह के आप्णाँ अनुमाँन लागा थिया; के ऐबे आँमें कोसी देश के नंजीक पंह्ईच्दें लागे।
जबे कपताँन अरह् मंह्ल्लाह के ऐजा डर थिया, के कंद्दी ऐशो ने हंईयों, के आँमें ऐकोऊँरी-कंऐड़ी शे टकराँव; तअ तबे तिन्ऐं पाँणीं के जहाँजो के पाछ़्ले चार लंगर ऊँदे छ़ूड़े, अरह् आँमें बादे झुणें बैजाऐ हिछ़्या शे रात्त बियाँणों की ठंह्ल़णाँई ताक दे थिऐ।
जबे आँमें बंची गुऐ, तबे आँमों कैई ऐजा पता लागा के ऐसी टापू को नाँव माल्टा असो।