19 “तबे: हे राजा अग्रिप्पा! मुँऐ तेसी स्वर्गिऐ दर्शण की अज्ञाँ ने टाल़ी थंई;
19 इथकारिए ओए रै राजा अग्रिप्पा, हांव ऐसी स्वर्ग कै दर्शन का पालन कौरदा रौआ,
हाँव तिनकी आखी खोल्णों खे, तिनू ईनाँरे शे ज्योत्ति की ढंबै फ़ेर्णो खे; मतल्व शैतान की शक्त्ति शे दुर्के करियों; पंण्मिश्वर की ढबै कर्णो खे, ताँव तिन कैई डेयाल़ूबा; जिन्दें लंई से मुँदा बिश्वाष कर्णो के कारण आप्णें पापों की माफी पाँव, अरह् पबित्र करे अंदे भगत्तों आरी से भे मीरास पाँव।’
“हे राजा अग्रिप्पा, जै-तोड़ी बातो का यहूदी लोग मुँह गाशी दोष-ईल़्जाँम लाओं; सेजी बादी बातो तुवाँरे सहाँम्णें शुँणाँणों खे हाँव आपु खे भाग्ईंत्त जाँणू;
मुँऐं आगे दमिश्क, अरह् यरूशलेम के लोगों मुँझी, अरह् तिन्दें पाछ़ी बादे यहूदा प्रदेश दा, अरह् तबे गऐर-यहूदियों मुँझी ऐजा प्रचार करा; के पस्तावा करो, अरह् पंण्मिश्वर के ढबै फीरी ज़ाव; अरह् पस्तावे के हिसाब शा चाल-चल़्ण करह्।
जबे पंण्मिश्वर के ऐजी हिछ़ा हऐ, के मुँदा आप्णें बैटे का ज्ञाँन पर्गट करा, के बै-बिश्वाषी लोगो मुँझी खुषख्बरी का प्रचार करू, तेसी बख्ते मुँऐं कोसी आदमी की सलाह्-मशोहरा ने करी।