संत्त-पौलुस ऐ बुलो, “हाँव यहूदी असो! अरह् किलिकिया के तरसुस नंगर का रंहणों वाल़ा असो; हाँव कोसी सिधे-साधे नंगर का नागरिक ने आथी, मेरी ताँव कैई शी ऐजी अरज असो; के मुँखे लोगों की भीड़ मुँझी किऐ बुल्णों के अज्ञाँ दियों।”
तेख्णीं तेसी ही बख्त्ते लिबर्तीन खुम्ल़ी के चौत्रे के किऐ लोग, जुण्जे के आगे ही कुरेनीं अरह् सिकन्दरिया नंगरों अरह् किलिकिया अरह् आसिया ईलाके के किऐ लोग स्तिफनुस का बिरोध अरह् तेसी आरी बाद-बिबाद कर्दे लागे।