13 अरह् जिनू लोगे ऐं ऐजी रंच्णाँ-रंचीं थंऐ थी; सेजे लोग च़ाल़िष शे जादा थिऐ।
13 जिनुवै ऐजै शौं खाए राए थी, सै चाल़ीश दै बै जादा आदमी थिए।
से तुँओं यहूदी-च़ौत्रें शे आगू गाड़्ले, सिर्फ ऐत्ती ने, परह् सेजा बख्त्त भे आऐ गुवा; जबे तुवाँरी हंत्त्या कर्णों वाल़ा, आप्णें कुँकंर्म खे पंण्मिश्वर की सेवा कर्णी संम्झला।
देस हंणों गाशी कुछ़ यहूदियों ऐ मीलियों ऐशी रंच्णाँ रंची, अरह् तिन्ऐं ऐजी षौंह्-कंस्म खाई, के ताँव तोड़ी आँमें किऐ भे खाँदे-पींन्दें ने; जाँव तोड़ी आँमें तेसी पौलुस जीयाँनिऐं ने माँरी दियों।
तिन्ऐं मुँख्या-याजकों अरह् बुड़े बुजूर्गो कैई ज़ाऐयों बुलो, “आँमें ठाटी थो, के जाँव तोड़ी आँमें पौलुस मारी ने दियों, ताँव-तोड़ी जे आँमें किऐ चाख्ह भे तअ आँमों खे फीट्कारा-लाँणत् असो।