7 तबे मुँऐं ऐक धाव शुँणीं, जिदो मुँखे बुली लो थियो; के ‘हे पतरस बीऊँज, माँर अरह् खा।’
7 औरौ ऐजै आवाज़ बै शौणै, “ओए रै पतरस ऊबा बिज़, मार औरौ खा।”
मुँऐ तिन्दें गाशी झैठ पाऐ, अरह् ध्यान शो देखो; के तिन्दें धर्त्ती के चौपाऐ, जाँगल़ी बंऐच़ीं, लोहक्णों वाल़े जीव-जन्त्तु अरह् अस्माँनों के पक्षी थिऐ।
मुँऐ बुलो, ‘ना प्रभू! ना’ किन्देंखे के ‘मुँऐं ऐत्त्लो तोड़ी किऐ अशुद्ध चींज आप्णें मुँहों दी ने लाऐ थई।’
किन्देंखे के पंण्मिश्वर की रंची-बणाँई अंदी बादी ऐक नाँम चीज शुद्ध असो, ऐक चीज भे छुड़णों ज़ूगी आथी ने; परह् ऐजो जरूरी असो, के बादी चींजो पंण्मिश्वर का धन्यबाद करियों खाई ज़ाँव।