संत्त-पौलुस ऐ बुलो, “हाँव यहूदी असो! अरह् किलिकिया के तरसुस नंगर का रंहणों वाल़ा असो; हाँव कोसी सिधे-साधे नंगर का नागरिक ने आथी, मेरी ताँव कैई शी ऐजी अरज असो; के मुँखे लोगों की भीड़ मुँझी किऐ बुल्णों के अज्ञाँ दियों।”
प्रभू ऐ तेस्खे बुलो, “हेभी ‘सीधी’ नाँव की गल़ी दा ज़ा; अरह् यहूदा के घरह् दा तरसुस का रंहणों वाल़ा, शाऊल का पता ला; से ऐसी बख्त्ते प्रार्थना करदा लागी रूवा।