“अरह् ऐबे देखो, हाँव तुओं लोगो के बीच दी पंण्मिश्वर के राज्य की खुषख्बरी शुँणाँदा रूवा, अरह् ऐबे हाँव जाँणू ऐं, के ऐबे तुओं मुँझ्शो कुँऐ भे हजो मेरो मुँह ने देखी संक्दे।
किन्देंखे के आँमें जाँणों ऐ, के अमाँरो धर्ती गाशी डेरा जिया घर ऊदा ढाल़ी देईदा, तअ आँमों खे पंण्मिश्वर की ढबे शो ऐक ऐशो भवन स्वर्गो दो भेट्दो जू हाथो शो बंणाँव घर ने आथी, परह् हमेशा को घर असो।