अरह् मुँऐ ऐजी ही बात तुँओं खे ईन्देखे लिखी, के कद्दी ऐशो ने हऐयों के मेरे आँणों गाशी, जिन कैई शी मुँह खुशी-आँनन्द भेटा चैई, हाँव तिन्ही शा ही उदास हंऊँ; किन्देंखे के मुँह तुँओं सोभी गाशी ईयों बातो का भूर्षा असो, के जू मेरा आँनन्द-खुशी असो, सेजी ही तुँओं सोभी के भे हऐ चेंई।