7 किन्देंखे के आँमें रूप दे:खियों ने, परह् बिश्वाष दे चालो;
7 जोबै आमै इयौं दुनिया दै रोऊं, तौ आमै आपणै बिशवाश लैई प्रभु कै पाछैदै चालु, ना कै तैसी दैखैयो।
हेभी अमाँरे सीसे दो झाँमंरो दे:खियों, परह् तेसी बख्ते आँम्णें-सहाँम्णें दे:ख्दे: ऐसी बख्ते मेरा ज्ञाँन आधा-अ; धुरा असो, परह् तेसी बख्ते सुवाँ करियों पछ़याँणुबा, जेष्णाँ मुँह पछ़याँणा गुवा।
ऐजो ने के आँमें बिश्वाष के बारे दा तुँओं गाशी हंक-अधिकार जमाँणा चहाँव; परह् तुवाँरे आँनन्द-खुशी के साथी असो, किन्देंखे के तुँऐं बिश्वाष दे ही पाक्कै रंह।
अरह् आँमें तअ दे:खी अंदी चींजो ने, परह् बिना दे:खी चींजो दे:ख्दें रंह्; किन्देंखे के दे:खी अंदी चींजो ठीक्के ही देसो की असो, परह् बिना दे:खी चींजो हमेंशा बंणी रंह्दी।
किन्देंखे के मुँह मसीया की गईलो शुँल़ी-फ़ाँशी चड़ाया गुआ, परह् ऐबे हाँव जीऊँदी ने आथी, परह् मसीया मुँह्दें जीऊँदी असो; अरह् हाँव देह्-शरीर दा ऐबे जू जीऊँदा असो, तअ सिर्फ तेसी बिश्वाष दा जीऊँदा असो; जू पंण्मिश्वर के बैटे गाशी असो, जिन्ऐं मुँह शो पियार करह्; अरह् मेरी ताँईऐं आप्णी जीयाँन दिती।
मेरा धार्मिकजंण बिश्वाष के कारण जीवन पाँदा: परह् जे से डरियों पाछ़ु फीरो, तअ हाँव तैच्छ़ा खुशी ने रंह्दी।”
तिनशो तुँऐं बिना दे:खी भे पियार करह्, अरह् ऐबे तअ तिनू गाशी बिना दे:खी भे बिश्वाष करियों ऐशे खुशी अरह् मंगन हों, जिन्दे का किऐं बखाँण ने करा ज़ाँव; अरह् से बड़ियाऐ शा भरा अंदा असो;
बिश्वाष दे पाक्के हऐयों, अरह् ऐशो जाँणियों तैसका साँम्णा करह्, के तुवाँरे भाऐ बंईणों भी जू संईसारी दे असो, से ऐष्णें ही दु:ख संह्।