17 प्रभू तअ आत्त्मा असो: अरह् जेथै कैथी प्रभू का आत्त्मा असो, तेथै अजादी असो।
17 प्रभु तौ आत्मा औसौ: औरौ जिथै कौथी प्रभु का आत्मा औसौ तिथै पुराणै कौरार शै आज़ादी औसौ।
आत्त्मा ही जीवन दियों, परह् देह्-शरीर शा किऐ भे फाय्दा ने हंदी; ईन्देंखे मुँऐं जुण्जे बचन तुओं कैई बुली थुऐ; सेजे ही आत्त्मा अरह् जीवन असो।
तुँऐं सच्चाऐ जाँण्ले, अरह् सच्चाऐ तुँओं अजाद कर्लीं।”
किन्देंखे के आत्त्मा के निय्म जुण्जे यीशू मसीया के जाँणें, आँमों खे जीवन दियों; से मुँखे पाप अरह् मंऊँती के बष शी मुँक्त्ति दियों।
पबित्र-ग्रन्थों दो लिखी भे थो, के “आगला आदमी, मतल्व आदम जीऊँदा जींव बंणा” अरह् आखरी आदम जीवन देणों वाल़ी आत्त्मा बंणी।
परह् जबे आँमों सोभी के खुलै मुँख्ड़े शा प्रभू का त्तेज-प्रकाष ऐशा दाँई पर्गट हों, जैष्णाँ के सिस्सै दा साफ नंजर आँव, तअ प्रभू के जाँणें जू आत्त्मा असो, आँमें तैसी ही त्तेजमंऐं सरूप दे अंष-अंष बदल़्दे ज़ाँव।
जिन्ऐं आँमों नुऐं बाय्दे के दास बण्णों ज़ुगे भे करे, ऐजा बाय्दा ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म ने आथी, जैसी बाय्दे ना माँन्णों लई मंऊँत्त आँव; परह् पबित्र-आत्त्मा अमर-जीवन दियों।
अरह् तबे तुँऐं जू पंण्मिश्वर के बैटे असो, ईन्देंखे पंण्मिश्वर ऐ तुवाँरे सासो दी बैटे की आत्त्मा देऐ थऐ; जू तुँऐं “हे अब्बा, हे बाबा” करियों बुली सको।
मसीया ऐ आँमों अजाद करी थुऐ, जू आँमें अजादी का मंज्जा लऐ सको, ईन्देंखे आप्णें बिश्वाष पाक्का थुऐ, अरह् हजो मूसा खे भेटे गुऐ अज्ञाँ-निय्म के गुलाम ने बंणें।
हे भाऐ बंईणों, तुँओं अजाद हणों खे बय्दी थुऐ, परह् कद्दी ऐशो ने हईयों के ऐजी अजादी तुँऐं देह्-शरीर के बुरी हिछा कर्णो का साधन ने बाँणें; परह् पियार शे ओका ओकी का सेवा दा मदत्तगार बंणों।
ऐजो ईन्देंखे के पंण्मिश्वर ऐं आँमों खे डर-भंऐ के ने, परह् शक्त्ति, प्यार, अरह् सऐन के आत्त्मा देऐ थऐ।