6 ऐष्णे खे ऐजी सजा जू भाईयों मुझ्शी भहिते दिती, से बैजाऐ असो।
6 ऐशणै आदमी कारिए ऐजै सौजा जू तुऔं मुंजीदै काफी बिशवाशीयै दैय राए, सैजै काफी औसौ।
मुँऐं दुर्के रंऐयों ऐजी बातो ईन्देखे लिखी लई, के तेथै हाजीर हणों गाशी मुँह प्रभू के जाँणें दिते गुऐ हंक-अधिकार ईसत्तेमाल़ शक्त्ती शा ने करणा पड़ो; ऐसी हंक-अधिका का मंतलव बड़ोत्री असो, नाष करणा ने आथी।
तुऐं दे:खी लो, की जुण्जा दु:ख पंण्मिश्वर की हिछ़्या शा तुऐं माँना; तैसी बद्ल़ाव लई, तुओं दी दे कै-तोड़ी हिम्मत्त पय्दा हऐ, आप्णी सफाई देंणों के पंराँव्णी, अरह् कैत्रा कुरोध, कैत्रा शंक, कैत्री हिच्छ़या! ऐतै ज़ुगी के आप्णें ऐसी मंस्लै दे, भे तुऐ हर ढंग शे बैकसूरबार हंणों का प्रमाँण दियों।
पाप कर्णो वाल़ा आदमी सोभी के सहाँम्णें सम्झाऐ दिऐं, जिन्दें लंई के ओके लोग भे डरी ज़ाँव।