परह् जुण्जो हाँव करू, सेजो ही करदा रंऊँबा, के जुण्जे लोग दाव दे असो, तिन्खे हाँव दाव ने देऊँ; जू जियों कोसी बातो दा से तारीफ करह्, तिन्दें से आँमों जैष्णें ही बंणों।
हाँव मुरूख-ज़गर तअ बणा, परह् तुँऐं ही मुँह ऐष्णों कर्णो खे मंज्जबूर करा। तुँओं तअ तेरी तारीफ कर्णी पड़ो थी; किन्देंखे के जे हाँव किऐं भी ने आथी, तबे भे तिनू बड़े शे बड़े प्रभू यीशू के खास-चैले की बातो शा कंम ने आथी।
किन्देंखे के पबित्र-ग्रन्थों दो बुलो गुओं: “ऐक नाँम पराँणी घास के जिऐ असो, अरह् तिन्दे की बादी शुभा-सजाव्ट घास के फूलो के जैऐ असो। घास शुक्की ज़ाँव, अरह् फूल झड़ी ज़ाँव,