19 पबित्र-आत्त्मा के काँम-काज़ दबाऐ ने।
19 पवित्र आत्मा कै कामौ कै लोगौ कै जिन्दगी दै हौणौ शै नी रौकौ।
“ओ, मंन के हठावणें, अरह् काँनों शे जाऐरे लोगों! तुऐं सदा ही पबित्र-आत्त्मा का बिरोध करह्, जेष्णों के तुवाँरे पुराँणिऐं भे करह् थिऐ।
परह् जे ओकी गाशी जू बईठा अंदा असो, तेस कैई किऐ पंणमिश्वर का प्रकाशित बचन भेटो, तअ सेजा बुल्णों वाल़ा आगला चुप्पी रंह्।
पंण्मिश्वर की पबित्र-आत्त्मा दु:खी ने करे, जिन्दे लई तुँओं गाशी छुट्कारे के देसो खे छाप लाऐ थई।
अरह् ईनू सोभी आरी बिश्वाष की ढाल लऐयों अट्ल़ रंह्ं, जिन्दे लई तुँऐं तेसी दुष्टो के बादे जल़्दे तीर हिशाल़ी सको।
ऋषियों की बरंम्बाणीं छुटी ने जाँणें।
ताँव कैई जुण्जा दाँण-बरंदाँण असो, जुण्जा के ताँव्खे बरंम्बाँणी के जाँणें, कलीसिया के दाँनें-माँनें पुराँणिऐं लोगो के हाँथ ताँव गाशी थंणों लंई भेंटा थिया; तू तेसी बरंदाँन सुवाँ करियों तिन्दी ही लंई सेंवा करे।
ईन्देंखे हाँव ताँव कैई शो भे चित्ते कराऊँ, के तू पंण्मिश्वर का सेजा बरंदाँन जुण्जा मेरे हाँथ थंणों के कारण ताँव भेंटा तेसी चंम्काऐ दे।