किन्देंखे के से आपु ही अमाँरे बारे दो बुलो, के तुँओं कैई अमाँरो आँणों केष्णों हुओ; अरह् तुँऐं केशे मुर्त्तियाँ छ़ुड़ियों पंण्मिश्वर के ढबे फिरे, जू जीऊँदे अरह् साच्चै पंण्मिश्वर की सेवा करह्।
ओके आदमी जू तियों मूँरी लई ने मँरी थी, तिन्ऐ आप्णी हाथों के करे अंदे काँम-काज़ शा आप्णा मंन ने बद्ल़ी, के दुष्ट-आत्त्मा की, हजो सुन्नें अरह् चाँदी अरह् पीतल अरह् पात्त्थर अरह् काठ की मुर्त्तियों की पूजा ने करह्, जू ना देख्दी, अरह् ना शुँण्दी, अरह् ना से आगु हाँड्दी;