20 ऐक नाँम जंण जैष्णी दषा दा बय्दी थुवा, से तैष्णी ही दषा दा रंह्।
20 हरेक आदमी कै तियौं दशा दौ बौणैयौंदो रौणौ चैंई जू पौरमेशवर कै बोईददै बैई तिनकै थै।
पंणमिश्वरे जेसी जियों दशा दा थऐ थुवा, मतल्व जेसी रूप दा बऐदी थूवा, से तेष्णा ही बंणा अंदा रंह्; सभी कलीसिया खे मेरा ऐजा ही सुजाव असो।
जे तू शादी-शुदा असो तअ आप्णी घरवाल़ी ने छुड़े, अरह् जे तू कुवाँरा असो, तअ बियाव-जाज्ड़े की खोज दा ने रूऐ:
अरह् जैष्णी अज्ञाँ आँमें तुँओं खे दिती, तेष्णें ही चुप-चाँण रंहणों अरह् आप्णें-आप्णें काँम-काज़ दे लागे अंदे रंह्, अरह् आप्णे-आप्णे हाथे कमाणों की कोशिष करह्;
ऐष्णे खे आँमें प्रभू यीशू मसीया दी ऐजी अज्ञाँ दियों, अरह् सम्झाँव ऐ, के चुप-चाँण किऐ काँम-काज़ करियों आप्णी रोटी खाया करह्।