16 ईन्देंखे हाँव तुँओं खे ढाल-अरज करू, के मुँह जैष्णी चाल-चालो।
16 इथकारिए हांव तुऔं कैईंदै बिन्ती कौरु, कै तुऐं मुं जैशणा मसीह दा आपणा जीवन जियौ।
तुँऐं मेरी जेऐ चाल-चालो, जेष्णी हाँव मसीया की जेऐ चाल चालू।
हे भाऐ-बईणों तुँऐं बादे मीलियों मेरी जेष्णी चाल-चालो, अरह् तिनकी मिशो करह्, जू ऐसी ढंग शे चालो; जिन्दे का उदारण तुँऐ आँमों दा पाँव,
जुण्जी बातो तुँऐं मुँह कैई शी शिखी अरह् तुऐ माँनी, अरह् शुँणीं अरह् मुँदी देखी, तिन्दी का पाल़्ण करिया करह्, तबे पंण्मिश्वर जू शाँण्त्ति का दाता असो, से तुँवारी गईलो रह्दा।
तुँऐं बड़े कल़ेष दे पबित्र-आत्त्मा के मंजे आरी, बचन माँनींयों अमाँरी अरह् प्रभू की जैष्णी चाल चाल्दे लागे।
ऐजो ने आथी, के आँमों कैई हंक-अधिकार ने आथी, परह् ईन्दें की ताँईऐ आँमें ऐष्णों करह्, के आँमें तुओं सोभी लोगों की ताँईऐ ऐक नंमुँना बंणों, के तुँऐं भे अमाँरी जेष्णीं चाल-चालो।
जू तुवाँरें अगवाँल़ थिऐ, अरह् जिन्ऐं तुँओं कैई शा पंण्मिश्वर का बचन शुणाँया, तिनू चित्ते थुऐं, तिनकी जीवन के रित्त के नतिजे गाशी बिचार करह्; अरह् तिनके जिया बिश्वाष कर्णो के कोशिष करह्।
जुण्जे लोग तुँओं खे देऐं थुऐं, तिन गाशी हंक-अधिकार ने जताऐं, परह् मंडल़ी खे आदर ज़ुगे बंणों।