जे तेरा भाऐ-बंईण तेरे भोजन के कारण उदास हों, तअ तबे तू पियारो के हिसाब शा ने चाल्दा; जिन्दें की ताँईऐं मसीया मरे, तेथू पियार तू आप्णे भोजन के कारण नाँष ने करे।
हे भाऐ बंईणों, तुँऐं स्तिफनास के घराना जाँणों ऐ, के से अखया ईलाके दे प्रभू गाशी बिश्वाष कर्णो वाल़े आगले फल़ असो, अरह् से पबित्र लोगो की सेवा कर्णो खे तियार रंह्।
हे भाऐ-बंईणों, तुवाँरे बारे दा आँमों हर बख्ते पंण्मिश्वर का धन्यबाद करणा पड़ो, अरह् ऐजो ठीक असो, ईन्देंखे के तुवाँरा बिश्वाष बैजाऐ बढ़दा ज़ाँव, अरह् तुँओं सोभी को प्यार आपु मुझी बैजाऐ बढ़दो लागो।