जेष्णों देसो खे आछो लागो, तेष्णी ही आँमें साची चाल-चालो, ना के लिला-क्रिढ़ा अरह् ना पियाक्ड़पण दे, ना चोरी-जारी, अरह् ना लुच-पंण दे, अरह् ना झगड़े, डाह् दे।
अरह् जे कुँऐं आप्णीं भूख सह्ऐन ने करी सको, तअ से आप्णे घरे शा खाऐ-पियों आँव, जू कोद्दी ऐशो ने हईयों के तुवाँरो कोठों हणों तुँओं खे सजा का जाँणें ने बंणों, बाकी बादी बातो हाँव आऐयों ठीक करूबा।