हे मेरे प्यारे, तुँऐं आपु बद्ल़ा ने लुऐ, परह् पंणमिश्वर के कुरूध खे मुक्का दियों, किन्देंखे के पबित्र-ग्रन्थों दो लिखी थो, के “प्रभू बुलो, के बद्ल़ा लोंणाँ मेरा काँम-काज़ असो, हाँव आपु ही बद्ल़ा लंऊँबा।”
धर्ती के सेजे बादे रंहणों वाल़े, तैथू बूणेर के पुजा करह्, जिनके नाँव माँरे अंदे छ़ैल़्टे के जीवन की कताबे दे संईसारी की उत्पत्ति के बख्तो शे ऊँबे लिखे अंदे ने आथी।