5 कांकि जिसे बेले अम्ही पुराणे इन्साना चे सुभाव मां हुते, तां पाप ची इच्छा जको व्यवस्था चे जरिये हुती, मौत चा फल पैदा करने वास्ते अम्चे शरीरा चे अंगा मां काम करती।
ऐवास्ते नरीकारा ने वानु नीच कामना चे वशा मां छोड़ती ङिले। इठे तक कि वांचीया असतरीया वी सुभाविक यौन सम्बन्धा नु छोड़ती कर असुभाविक यौन सम्बन्ध करु लाग़लीया।
ते ना ही आपणे शरीरा चे अंगा नु अधर्म चे हथियार हुवणे वास्ते पाप नु सोंपा, पर आपणे आप नु मरला आला महु जीते हुवणे जाणती कर आपणे शरीरा चे अंगा नु धार्मिकता चे हथियार हुवणे वास्ते नरीकारा नु सोंपा।
मैं तम्ची शरीरिक दुर्बलता ची वजह इन्साना ची रीति उपर किहे। जिंवे तम्ही आपणे शरीरा चे अंगा नु कुकर्म चे वास्ते अशोद्धता ते कुकर्म चे दास बणाती कर सोंपले हुते, यूंही ही हमा आपणे शरीरा चे अंगा नु पवित्रता चे वास्ते धार्मिकता चे दास करती कर सोंपती ङिया।
पर माये आपणे शरीरा चे अंगा मां ङुजे तरीके ची व्यवस्था ङिसे, ते जको माई ब़ुध्दि ची व्यवस्था लारे लड़ती रिहे, ते मनु पाप ची व्यवस्था चे बन्धन मां नाखे जको माये शरीरा चे अंगा मां छै।
ऐवास्ते जितने लौक व्यवस्था चे कामा उपर भरोसा राखी वे श्राप चे गुलाम छी कांकि लिखले आले छै कि “जको कुई व्यवस्था चीया सारीया बाता पुरीया करने मां मजबूत ना रिही ऊं श्रापित छै। ”
ऐवास्ते याद राखा कि तम्ही शरीरा ची रीति लारे नेरीया जातिया छिवा ते जको लौक शरीरा मां हाथा चे करले हुले खतने लारे खतने आले किहवावी, वे तम्हानु बिना खतने ची किही।
यांचे मां अम्ही वी सब चे सब पेहले आपणे शरीरा ची लालसा मां ङिहें गुजारते, ते शरीर ते मना ची इच्छा पुरी करते, ते नेरे लौका आलीकर सुभाव ही कनु क्रोध ची ऊलाद्ध हुते।
कांकि अम्ही वी पेहले, बेअक्कल, ते आज्ञा ना मनणे आले, ते वहमा मां ढेले आले, ते हर हेक रंगा ची इच्छा ते सोख भोग़णे चे गुलाम हुते, ते बैरबन्दी, ते खार खाणे मां जीन्दगी गुजारते, ते किज़ड़े हुते, ते हेके ङुजे लारे बैर राखते।