16 ते अगर, जको मैं ना चाहवी ऊंही करे, तां मैं मनती गिहे कि व्यवस्था आच्छी छै।
ऐवास्ते व्यवस्था पवित्र छै। ते आज्ञा पवित्र, धर्मी, ते आच्छी छै।
कांकि अम्ही जाणु कि व्यवस्था तां आत्मिक छै, पर मैं शरीरिक छै ते पाप चे हाथा मां बिकला आला छै।
कांकि मैं भितरला मनुष्यत्व कनु तां नरीकारा चे व्यवस्था कनु ब़ोहत खौश रिहे।
पर अम्ही जाणु, कि अगर कुई व्यवस्था नु व्यवस्था ची रीति उपर कामा मां आणे, ते व्यवस्था आच्छी छै।