16 ते जिसड़े कि हेके इन्साना चे पाप करने चा फल हुला, उसड़े ही दान ची दशा कोनी, कांकि हेक ही चे वजह ङण्ड ची आज्ञा चा फैंसला हुला, पर ब़ोहत से अपराधा लारे इसड़ा वरदान पैदा हुला कि लौक धर्मी ठहरो।
ऐवास्ते जितने लौक व्यवस्था चे कामा उपर भरोसा राखी वे श्राप चे गुलाम छी कांकि लिखले आले छै कि “जको कुई व्यवस्था चीया सारीया बाता पुरीया करने मां मजबूत ना रिही ऊं श्रापित छै। ”