27 आच्छे तां लाग़ले, पर वे वांचे कर्जदार वी छी, कांकि अगर नेरीया जातिया वांचीया आत्मिक बाता मां शामिल हुले तां वांचे वास्ते वाजिब छै कि, संसारिक चीजा लारे वांची सेवा करा।
ते जिंवे करती अम्ही आपणे अपराधीया नु माफ करले, यूंही तु वी अम्चे अपराधा नु माफ कर।
ते अगर कोच्छ लड़ीया भान्ती कर भुकाती नाखलीया गेलीया, ते तु जंगली जैतून ओचे मां पैवन्द करला गेला ते ओ जैतून चे आच्छे ब़ूटे ची ज़हड़े ची चिकणाई चा भईवाल हुला,
कांकि अम्ही जाणु कि व्यवस्था तां आत्मिक छै, पर मैं शरीरिक छै ते पाप चे हाथा मां बिकला आला छै।
अम्ही तम्चे मां आत्मिक बीज राहले तां अगर तम्ची शरीरिक चीजा महु कोच्छ भईवाल हुती जऊं तां हा कुई बङी बात कोनी छै।
जानु नरीकारा चा वचन सुणाला गेला ओनु चाही छै कि, जको उत्तम चीज ओकनु छै, ओचे मां आपणे वचन सुणावणे आले साथी नु आपणा हेंस्सेदार बणाती गिहो।
मैं, पौलुस, खौद्द आपणे हाथा लारे लिखे पला, ओची भरपाई मैं भरी, मनु केहणे ची ईं जरुरत कोनी कि माया कर्जा जको दुधे उपर छै, ओ तु ही छी।