20 खाणे नु महत्व ङिते हुले नरीकारा चे काम ना बिगाड़, सब कोच्छ शोद्ध तां छै। पर ओ बन्दे वास्ते ईं बुरे छै कुई नेरे ओचे भोज़न खाणे लारे ठोकर खाओ।
जको मुँहा मां जाये, ऊं इन्साना नु अशुद्ध ना करी, पर जको मुँहा महु निकले, ऊंही इन्साना नु अशुद्ध करे।”
“जको कुई यां छोटा महु जको माये उपर विश्वास करी, कानु ठोकर खुलाओ, ओचे वास्ते भले हुवीया कि बङी घर्टी चा पोड़ ओचे गले मां लटकाला जईया, ते ओ गहरे समुन्दरा मां नाखती ङिला जईया।
बल्ति ओनु ङुजी वारी अवाज सुणीली, “जको कोच्छ नरीकारा ने शोद्ध ठहराले, ओनु अशुद्ध ना केह।”
कांकि हेक नु विश्वास छै, कि सब कोच्छ खाणे ठीक छै, पर जको विश्वासा मां कमजोर छै, ओ साग़-भाज़ी ही खाये।
भले तां ईं छै कि, तु ना तां मांस खा, ते ना ही दाखरस पी, ते ना ही नेरे कहीं कर, जाये कनु दुधे भावां नु ठोकर लाग़ो।
कांकि अम्ही ओचे बणाले आले छिऊं, ईशु मसीह मां भले कामा वास्ते बणाले गेले छिऊं। नरीकारा ने अम्हानु पेहले कनु तियार करले। के अम्ही ऊं करते हुले आपणी जीन्दगी बिताऊं।
मनु पूरा भरोसा छै कि ओ नरीकार जेह्णे तम्चे मां आच्छे काम शुरु करले ऊंही काम मसीह ईशु चे ङिओ तक नरीकार पुरे करी।
शोद्ध लौका वास्ते सारीया बाता शोद्ध छी, पर अशुद्ध ते अविश्वास वास्ते कोच्छ वी शोद्ध कोनी, बल्कि वांचा दिमाक ते विवेक ङोनी अशुद्ध छी।