ते ओ सिंहासन चे सामणे मना बिल्लौर आलीकर शीशे चा समुन्दर छै। सिंहासन चे आधे मां ते सिंहासन चे चारो-तरफ चार जीती जींये छी जाये आग़ु-भांसु आँख ही आँख छी।
जब मैमणे ने तीजी मौहर खोड़ली, तां मैं तीजे जीते जीया नु ईं केहते सुणले “आ।” मैं नजर करली ते ङेखले, हेक काला घोड़ा छै ते ओचे सवारा चे हाथा मां हेक तरकड़ी छै।