ते नरीकारा ची महिमा, ते ओची सामर्थ चे जरिये मन्दर धूंऐ लारे भरीती गेला, ते जब-तक वा सात स्वर्ग़दूता चा सात विपतीया खत्तम कोनी हुलीया, तब तक कुई मन्दरा मां कोनी जा सग़ले।
बल्ति ओ स्वर्ग़दूता ने मनु बिल्लौर जिसड़ी शीशे आलीकर झलकती हुली, जीवन चे पाणीया ची नदी ङिखाणली। जको नरीकार ते मैमणे चे सिंहासन कनु निकलती कर ओ शहरा ची सड़के चे आधी मां बेहती।
ते ओ सिंहासन चे सामणे मना बिल्लौर आलीकर शीशे चा समुन्दर छै। सिंहासन चे आधे मां ते सिंहासन चे चारो-तरफ चार जीती जींये छी जाये आग़ु-भांसु आँख ही आँख छी।