34 पर वे चोप रेहले। कांकि मार्ग़ा मां वाणे आपस मां हा बहस करली हुती कि अम्चे महु बङे कूण छै।
वे आपस मां विचार करु लाग़ले, “अम्ही रोटी कोनी आणली ऐवास्ते ओ इसड़े किहे पला।”
“लूण आच्छे छै, पर अगर लूणा चा स्वाद बिगड़ती जाये तां बल्ति किसी चीजे लारे नमकीन करले जई? “आपणे मां लूण राखा ते हेके ङुजे लारे प्यारा लारे रिहा।”
भाईचारे चे प्रेम लारे हेके-ङुजे उपर दया करो, आपस मां हेके-ङुजे नु आदर चे लारे आपणे आप कनु ज्यादा समान ङिया।
जको लौक तम्हानु सोंपले गेले वांचे उपर अधिकार ना जतावा बल्कि वांचे वास्ते नमुना बणा।
मैं कलीसिया नु कहीं लिखले हुते, पर दियुत्रिफेस जको वांचे मां बङा बणना चाहवे, अम्ची ना मनी।