47 ते जिसे बेले ङिओ थोला, तां ब़ेड़ी झील चे बीच मां हुती, ओ हेकला भोंये उपर हुता
ओ लौका नु विदा करती कर, प्राथना करने वास्ते अलग़ पहाड़ा उपर चाह्ला गेला। ते ङिओ थोले ओ हेकला हुता।
वानु विदा करती कर ओ पहाड़ा उपर प्राथना करने वास्ते गेला
जब ओणे ङेखले कि वे ब़ेड़ी चलाते-चलाते घब़राती गेले। कांकि हवा वांचे सामणे ची हुती। तां राती चे चौथे पाहरा चे गोढु ओ झीली उपर टुरते हुले वांचे गोढु आला, ते वांचे आग़ु निकलती जाणा चाहवे ला।