22 कांकि कोच्छ लुकले आले कोनी, पर ऐवास्ते कि प्रकट हुती जाओ, ते ना कोच्छ गुप्त छै, पर ऐवास्ते छै कि प्रकट हुती जाओ।
“कोच्छ लुकले आले कोनी, जको प्रकट ना हो, ते ना कोच्छ गुप्त छै जको जाणले नी जई।
कांकि मैं नरीकारा ची सारी मनसा नु पुरी रीति लारे तम्हानु बावड़ने कनु कोनी झिझकला।
कांकि ईं तां अम्हा कनु हो ना सग़ी, कि जको अम्ही ङेखले ते सुणले, ऊं ना किहुं।”
ऐवास्ते जब तक प्रभु ना आती जाओ, समय कनु पेहले कुई बाते चा न्यां ना करा, वे ही तां अन्धकार चीया लुकलीया बाता छी, जको सोज़ले मां ङिखाणी, ते मना चे मकसद प्रकट करी। तब नरीकारा चे तरफु हर-हेक ची बढ़ाई हुवी।