35 कांकि जको कुई नरीकारा ची इच्छा उपर चले, वे ही माये भऊ, ते ब़ेहण, ते आई छै।”
“जिसे मनु, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ किहे, वांचे महु हर हेक स्वर्ग़ चे राज़ मां जा नी सग़ी, पर ऊंही जको माये स्वर्ग़ीय ब़ा ची इच्छा चे उपर चले।
अगर कुई ओची इच्छा उपर चलणे चाहवे तां ओ माया उपदेशा चे बारे मां जाणती जई कि ईं नरीकारा चे तरफु छै जा मैं आपणे तरफु किहे पला।
तम्ही बन्दा नु खौश करने आला चे समान ङिखाणने वास्ते सेवा ना करा, पर मसीह चे सेवका चे समान मना लारे नरीकारा ची इच्छा उपर चला,
कांकि तम्हानु सब्र करना जरुरी छै, कि नरीकारा ची इच्छा नु पुरी करती कर तम्ही वायदे चा फल गिहा।
पर जको बन्दे आजादी ची सेद्ध व्यवस्था उपर ध्यान करता रिहे, ओह आपणे कामा मां ऐवास्ते आशीष गिही कि सुणती कर भुली ना, पर उसड़े ही काम करे।
ऐवास्ते कि भविष्य मां आपणे बाकि शरीरिक जीन्दगी बन्दा ची इच्छा चे अनुसार ना बल्कि नरीकारा ची इच्छा चे अनुसार बितावा।
संसार ते ओचीया बुरीया इच्छा ङोनी मिटते जई पले, पर जको कुई नरीकारा ची इच्छा उपर टुरे ऊं सदा बणले रिही।