70 पर ओ बल्ति मुकरती गेला। थोड़ी देर बाद वाणे जको ओठे भिले हुते बल्ति पतरस नु केहले, “सच्चमां तु वांचे महु हेक छी, कांकि तु गलीली वी छी।”
ओ मुकरती गेला ते केहले, “मैं ना ही जाणे ते ना ही समझे कि तु का किही पली।” बल्ति ओ ब़ाहर पोड़ीया मां गेला, ते कूकड़े ने बांग ङिली।
वे दासी ने ओनु ङेखती कर वानु जको गोढु भिले हुते, बल्ति किहुं लाग़ली, “हा वांचे महु हेक छै।”
तब ओ कोसणे ते कसम खऊं लाग़ला, “मैं ओ इन्साना नु, जाई तम्ही चर्चा करा पले,ना जाणी।”
तां वे सारे हैरान ते अचम्भा हुती कर किहुं लाग़ले, “ङेखा, ये जको ब़ोली पले का ये सारे गलीली कोनी?