37 बल्ति ओ चैला चे गोढु आतीकर वानु नूहले आले ङेखले ते पतरस नु केहले, “हे शमौन, तु नूहला पला? का तु हेक घड़ी वी ना जाग़ सग़ला?
जिसे बेले बीन्दा चे आणे ची देर हुली, तां वे सारीया ऊंघु लाग़ीया, ते नूहती रेहलीया।
बल्ति ओ चैला चे गोढु आतीकर वानु नूहले आले ङेखले ते पतरस नु केहले, “का तम्ही माये लारे हेक घड़ी वी ना जाग़ सग़ले?
ते केहले, “हे ब़ा, हे पिताजी, दुधे कनु सब कोच्छ हो सग़े, ऐ मुंगरा नु माये कनु हटाती गे। तां वी जिसड़े मैं चाहवे उसड़े ना, पर जको तु चाहवी उसड़े ही हो।”
जाग़ते रिहा ते प्राथना करते रिहा कि तम्ही परीक्षा मां ना पड़ा। आत्मा तां तियार छै, पर शरीर कमजोर छै।”
ऐवास्ते ओचे उपर विचार करा, जेह्णे आपणे विरोध मां पापीया चा इतना घौर कष्ट सेहती गेला कि तम्ही निराश हुती कर हिम्मत ना छोड़ती ङिया।