34 ते वानु केहले, “माये मन ब़ोहत उदास छै, इठे तक कि मैं मरणे उपर छै, तम्ही इठी रुका, ते जाग़ते रिहा।”
तब ओणे वानु केहले, “माये मन ब़ोहत उदास छै, इठे तक कि मैं मरणे उपर छै। तम्ही इठी रुका, ते माये लारे जाग़ते रिहा।”
“हमा माये जी घब़रावे पले, ऐवास्ते हमा मैं का किहे? ‘हे ब़ा, मनु ये घड़ी कनु बचा’ ना, कांकि मैं येही वजह कनु येही घड़ी मां पुज़ला।
सारीया बाता चा अन्त तुरन्त हुवणे आला छै। ऐवास्ते काबु हुती कर प्राथना वास्ते चौकस रिहा।
सचेत हुवा ते जाग़ते रिहा कांकि तम्चा विरोधी शैतान गरजणे आले शेरा आलीकर ईं सोता रिहे कि कानु फाड़ती खाये