37 जको मैं तम्हानु किहे ऊंही सारा नु किहे, ‘तम्ही जाग़ते रिहा।’ ”
“ऐवास्ते जाग़ते रिहा, कांकि तम्ही ना जाणा कि तम्चा प्रभु किसे ङिओ आवी।
ङेखा, जाग़ते ते प्राथना करते रिहा, कांकि तम्ही ना जाणा कि ओ समय कङण आवी।
ऐवास्ते जाग़ते रिहा कांकि तम्ही ना जाणा कि घरा चा मालिक कङण आवी, आथणे जा आधी राती नु, जा कूकड़े चे बांग ङेणे चे समय जा पुरा फुटले।
ते समय नु पिछाणती कर इसड़े ही करा, ऐवास्ते कि हमा तम्चे वास्ते नीङे कनु सुज़ाक हुवणे ची घड़ी आती पुज़ली, कांकि जिसे बेले अम्ही विश्वास करला हुता, ओ समय चे हिसाबा लारे अम्चा उद्धार गोढु छै।