50 ओ आपणी ओढ़णी भुकाती कर जल्दी ऊठला, ते ईशु चे गोढु आला।
ईशु ने गलील ची झील चे किनारे फिरते हुले ङुंहु भावां नु यानि शमौन नु जको पतरस किहवावे, ते ओचे भऊ अन्द्रियास नु झील मां जाल नाखते ङेखले, कांकि वे मछुवारे हुते।
बल्ति ईशु ने रुकती कर केहले, “ओनु हकारा।” ते लौका ने ओ अन्धे नु हकारती कर ओनु केहले, “हिम्मत राख, ऊठ! ओ तनु हकारे पला।”
ऐचे उपर ईशु ने ओनु केहले, “तु का चाहवी कि मैं दुधे वास्ते करे?” अन्धे ने ओनु केहले, “हे रब्बी, ईं कि मैं ङेखु लाग़े।”
ये वजह कनु जबकि ग़वाहा ची इसड़ी बङी भीड़ अम्हानु घेरले आले छै, तां आवा, हर हेक रोकणे आली चीज ते उलझाणे आले पापा नु दूर करती कर, वा द्रोड़ जिसे मां अम्हानु द्रोड़ने छै, धीरज लारे उग़ते बधते जऊं,