26 ईशु ने वानु केहले, “हे अल्पविश्वासी लौक, कां ङरा पले?” बल्ति ओ खड़ा हुती कर अन्धारी नु ते पाणीया नु दड़काले, ते सब शान्त हुती गेले।
ईं जाणती कर, ईशु ने वानु केहले, “हे अल्पविश्वासी, तम्ही आपस मां कां विचार करा पले कि अम्चे कनु रोटी कोनी?
ओणे वानु केहले, “आपणे विश्वास ची कमी ची वजह, कांकि मैं तम्हानु सच्च किहे पला, अगर तम्हानु राई चे ङाणे चे बराबर वी विश्वास हो, तां ऐ पहाड़ा नु केह सग़ा, ‘इठु सरकती कर ओठे चाह्ला जा’ तां ओ चाह्ला जई, नेरी कुई बात तम्चे वास्ते असम्भव नी हुवी।
ऐवास्ते अगर नरीकार जंगला चे खड़ा नु, जको आज़ छै ते सुवारे भाड़ मां झोंकती ङिले जई, इसड़ी ओढ़णी घलावे, तां हे अल्पविश्वासी लौक, ओ तम्हानु ऐकनु बढ़ती कर कां नी घलावी?
ते वे अचम्भा करती कर किहुं लाग़ले, “ईं किसड़े इन्सान छै कि अन्धारी ते पाणी वी ऐची आज्ञा मनी।”
ईशु ने ओनु धमकाती कर केहले, “चोप रेह, ते ओचे महु निकलती जा।” तब दुष्टात्मा ओनु आधे मां ढाती कर बिना नुकसान पुचाले ओचे महु निकलती गेली।
ते ना ही अविश्वासी हुती कर नरीकारा चे वायदे उपर शक्क करला, पर विश्वासा मां मजबूत हुती कर नरीकारा ची महिमा करली,
ओचे हाथा मां हेक छोटी जा खुड़ली आली किताब हुती। ओणे आपणा सज़्ज़ा पग़्ग़ समुन्दरा उपर ते खब़्ब़ा पग़्ग़ धरती उपर मेहला।