1 “दोष ना लावा कि तम्चे उपर वी दोष ना लाला जाओ।
कांकि जिंवे करती तम्ही दोष लावा, यूं करती तम्चे उपर वी दोष लाला जई, ते जिसी नाप लारे तम्ही ङुजा वास्ते नापा, वेही नाप लारे तम्चे वास्ते वी नापले जई।
हे कप्पटी, पेहले आपणी आंखी महु खम्बा काढ़, तब जको कख दुधे भावां ची आंखी मां छै, ओनु आच्छी तरह ङेखती कर काढ़ सग़े।
“दोष ना लावा, तां तम्चे उपर वी दोष नी लाला जई। दोषी ना ठहरावा, तां तम्ही वी दोषी नी ठहराले जावा। माफ करा, तां तम्हानु वी माफी मिलती जई।
“तु आपणे भावां ची आंखी चे कखा नु कां ङेखी, ते आपणी ही आंखी चा खम्बा तनु ना सूझी?
कांकि वे ईशु कनु पूछते ही जई पलते, बल्ति ओ सिधा भिला रेहती कर वानु केहले, “कि तम्चे महु जको पापी ना हो ऊंही सारा महु पेहला पत्थर यिनु मारो।”
हे माये भऊ, तम्चे महु घणे सारे गुरु ना बणो, कांकि तम्ही आप जाणा, कि अम्ही जको गुरु छिऊं अम्हा कनु होर वी सख्ताई लारे लेखा गेहला जई।