मैं तम्हानु सच्च किहे पला कि जको भिले, वांचे महु कोच्छ इसड़े छी कि जब तक मैं इन्साना चे पूता नु ओचे राज़ मां आते हुले नी ङेखती गिहे, तब तक मौत चा स्वाद कङी नी चाखे।”
जब ओ जैतून पहाड़ा उपर ब़ेहला हुता, तां चैला ने हेकले मां ओचे गोढु आती कर केहले, “अम्हानु बावड़ कि ये बाता कङण हुवे? दुधे आवणे ची ते संसारा चे अन्त ची का निशानी हुवी?”