21 ओ समय कनु ईशु आपणे चैला नु बावड़ु लाग़ला, “जरुरी छै कि मैं यरुशलेम नु जाये, ते बङके, ते प्रधान याजका, ते शास्त्री मनु ब़ोहत ङोख ङियो ते मारती नाखो, ते तीजे ङिओ जीता हुती जाये।”
मैं तम्हानु सच्च किहे पला कि जको भिले, वांचे महु कोच्छ इसड़े छी कि जब तक मैं इन्साना चे पूता नु ओचे राज़ मां आते हुले नी ङेखती गिहे, तब तक मौत चा स्वाद कङी नी चाखे।”
पर मैं तम्हानु किहे पला कि एलिय्याह आती चुकला, ते लौका ने ओनु कोनी पिछाणले, पर जिसड़े चाह्ले उसड़े ही ओचे लारे करले, ये रीति लारे मैं इन्साना चा पूत वी वांचे हाथा कनु ङोख चवी।”
जब वे पहाड़ा कनु उतरी पलते तब ईशु ने वानु हा आज्ञा ङिली कि, “जब तक मैं इन्साना चा पूत मरला आला महु जीता ना हुती जाये, तब तक जको कोच्छ तम्ही ङेखले कानु ना केहजा।”
जिंवे कि मैं इन्साना चा पूत, ऐवास्ते कोनी आला कि ओची सेवा-टहल करली जाओ, पर ऐवास्ते आला कि आप सेवा-टहल करो, ते ब़ोहता नु छुड़ावणे वास्ते आपणे प्राण ङियो।”
बल्ति ओ वानु सिखाऊं लाग़ला कि, “मैं इन्साना चे पूता चे वास्ते जरुरी छै कि ओ ब़ोहत ङोख चाओ, ते बङके ते प्रधान याजक, ते शास्त्री ओनु, तोच्छ समझती कर मारती नाखो, ते ओ तीजे ङिओ जीता हुती जाओ।”
ओणे वानु उत्तर ङिला, “एलिय्याह सच्चमां पेहले आती कर सब कोच्छ सुधारी, पर मैं इन्सान चे पूता चे बारे मां ईं कां लिखले पले कि ओ ब़ोहत ङोख चवी, ते तोच्छ गिणला जई।