18 पर जको कोच्छ मुँहा कनु निकले, ऊं मना कनु निकले ते ऊंही इन्साना नु अशुद्ध करे।
हे नाग़ा ची ब़ाले! तम्ही बुरे हुती कर किवें आच्छीया बाता केह सग़ा? कांकि जको मना मां भरले पले, ऊंही मुँहा उपर आवे।
जको मुँहा मां जाये, ऊं इन्साना नु अशुद्ध ना करी, पर जको मुँहा महु निकले, ऊंही इन्साना नु अशुद्ध करे।”
का तम्ही ना जाणा कि जको कोच्छ मुँहा मां जाये ऊं ढिड्डा मां जाये, ते संडास चे जरिये निकलती जाये?
बल्ति ओणे केहले, “जको इन्साना चे महु निकले, ऊंही इन्साना नु अशुद्ध करे।
“ओणे ओनु केहले, ‘हे दुष्ट दास, मैं दुधे ही मुँहा कनु तनु दोषी ठहरावे पला। तु मनु जाणता कि मैं कठोर इन्सान छै, जको मैं कोनी मेहले ओनु चती गिहे, ते जको मैं कोनी राहले ओनु बाढे।