28 ते ओणे वानु केहले, ‘ईं कुई दुश्मना चे काम छै’। दासा ने ओनु केहले, ‘दुधी का इच्छा छै, कि अम्ही जती कर वानु भेली करती गिहुं?’
ऐचे उपर घरा चे दासा ने आती कर मालिका नु केहले, ‘ओ स्वामी, का तु आपणे खेता मां आच्छे बीज कोनी राहले हुते? बल्ति जंगली खड़ा ची ब़ूटी ओचे मां किठु आली?’
ओणे केहले, ‘ना इसड़े ना हो कि जंगली ब़ूटा नु भेले करते समय उपर तम्ही कणकी चे ब़ूटा नु वी पटती नाखा।
ते ओ माये भऊ ते ब़ेहणीया, अम्ही तम्हानु समझाऊं पले कि तम्चे मां जको आलसी छी वानु समझावा, कायरा ची हिम्मत ब़न्धावा, कमजोरा नु सम्भाला, सारा बन्दा ची सहन करा।