25 तब ओणे वानु केहले, “तम्चा विश्वास किठे हुता?” पर वे ङरती गेले ते हैरान हुती कर आपस मां किहुं लाग़ले, “हा कूण छै जको अन्धारी ते पाणीया नु वी आज्ञा ङिये, ते वे ओची मनी।”
ओणे वानु केहले, “आपणे विश्वास ची कमी ची वजह, कांकि मैं तम्हानु सच्च किहे पला, अगर तम्हानु राई चे ङाणे चे बराबर वी विश्वास हो, तां ऐ पहाड़ा नु केह सग़ा, ‘इठु सरकती कर ओठे चाह्ला जा’ तां ओ चाह्ला जई, नेरी कुई बात तम्चे वास्ते असम्भव नी हुवी।
तब वाणे गोढु आती कर ओनु जग़ाले, ते केहले, “स्वामी! स्वामी! अम्ही नाश हुले जऊं!” बल्ति ओणे उठती कर अन्धारी ते पाणीया ची लहरा नु दड़काले ते वे शान्त हुलीया ते चैन हुती गेला।